Monday, October 30, 2017

पलायन १

जन्मभूमि के लिए
दुखद,अत्यधिक दुखद
दिन था वह
जब उसकी ही संतानें
उसको छोड़कर जा रही थी
शायद इस उम्मीद में


कि कोई बेहतर
और बेहतर
कर्मभूमि मिले
मगर वह जहां का रहे थे
वहां इंसान जैसा कुछ न था
रहना ऐसा जैसे
माचिस के डिब्बे में
तीलियां समेटी हो
और बस
एक चिंगारी काफी है
उनको तबाह करने के लिए

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