Thursday, December 14, 2017

बिछड़ी यादें

इन भटकती सी राहों में
कुछ झिलमिल से चेहरे 
याद आते हैं
जो शायद कभी
हमारे जीवन का 
हिस्सा रहे हों
मगर उनसे जुड़ी यादें 
न झिलमिलाती हैं
न डगमगाती हैं
वह बस हमारे जेहन में
एक सुनहरे पल के रूप में
समाई होती हैं
जो कभी हंसा देती हैं
और कभी रुला देती हैं
याद कराने की कोशिश करती हैं
उन कुछ और यादों को
जो अब याद नहीं आ पाती हैं
शायद जिनकी उम्र थोड़ा कम थी
जो अभी भी
सभी के दिलों में हैं
मगर थोड़ा जोर देने की जरूरत है
किसी को लगता है
यादों को याद करने का वक्त नहीं
किसी को लगता है
जिंदगी बहुत तेज है
मगर हर एक के जीवन में 
वह लम्हा जरूर आता है
जब हमको अकेले में मुस्कुराता देखकर
अकेले बतलाता देखकर
और लोग पूछ बैठते हैं
कि कहां खोया है
लेकिन इन यादों में
बार बार डूबने का मन करता है
जो जीवन के अंतिम पलों में भी
थोड़ा और जीने की
वजह बनने की कोशिश करती हैं
और यही यादें 
हर किसी के जीवन की खुशी हैं
जो कभी अकेला नहीं छोड़ती
क्योंकि जिंदगी भर 
चेहरों पर भरोसा कर
उस समय तक
भरोसे से भी भरोसा उठ चुका होता है
जिस समय
अंतिम दिनों का चलना 
शुरू हो चुका होता है
मगर थोड़ा और जीने की आश
अभी बाकी होती है 
और हमें जिंदा रखने के लिए
ये यादे काफी होती हैं।


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