Tuesday, October 30, 2018

कवि

देखो कलम यह, टूट चुकी है
स्याही साथ में, सूख चुकी है
बिना कलम और स्याही के,
कवि बेचारा क्या करेगा
नाखूनों से कलम बनाकर,
खून की स्याही भरेगा

Thursday, October 25, 2018

आंखो की रोशनी

उन आंखों के लिए
कितना सुखद होगा
वह क्षण
जब सालों बाद
मरू भूमि में
हलचल शुरू हुई
तेज हवाएं चली,
फिर से बादल घिरे, और 
बारिश हुई
और एक बार फिर से
जीवन का संचार हुआ 
जैसे उन आंखों को
फिर से
रोशनी मिल गई हो