Friday, December 28, 2018

अनजान रास्ते

किस्सा-१

देखो कैसे
बिछड़े, भटके
वह अनजाने, रास्ते
कैसे मिल जाते हैं
कौन जाने कहां शुरू
जाने कैसा सफर किया
मगर एक दूजे को पाते ही
देखो कैसे
चीनी और पानी के जैसे
घुलमिलकर एक साथ हो जाते
वह अनजान, रास्ते

किस्सा-२

उस बिंदु तक
एक साथ ही आए
मानो जैसे एक ही जीवन
एक ही आत्मा
साथ खेलना
खाना साथ
सोना और जागना भी साथ
फिर उस बिंदु पर आकर
जड़ और तने हों जैसे
बिछुड़ गए
जैसे कभी मिले ही ना हो
वह अनजान, रास्ते

किस्सा-३

उस एक बिंदु पर,
आकर कुछ मिलते
आकर कुछ बिछड़ते
फिर मिलने का सुख
बिछड़ने का दुख
हमारे मन में क्यों समाता
यह जीवन है,
यहां कुछ मिलेंगे, कुछ बिछड़ेंगे
और फिर कुछ मिलेंगे
यही जीवन को
उल्लास बनाते
हमारे जीवन के
अनजान रास्ते

Sunday, December 16, 2018

क्या तुम्हें पढ़ना नहीं आता

कुछ निशान बाकी हैं
कागजों में,
कलम के
अरे नहीं, स्याही के
जो लिखे गए थे
पढ़ने के लिए, 
जानने के लिए,
समझने के लिए
उन बातों को
जो उन शब्दों में हैं
शब्दों के बीच में हैं
मगर क्यों, शब्द
केवल अर्थ तक रह गए
क्या तुम्हें पढ़ना नहीं आता