यहां पेड़ों पर
मछलियां बैठी हैं,
उधर पानी में
चिड़िया तैर रही हैं,
आज रात भर
सूरज छाया था,
दोपहरी में, चांद
सफेदी फैला रहा,
आज यह क्या हो रहा है
देखो कहीं गौशाला में
मनुष्य तो नहीं बंधा,
शहरों में कुत्तों का
शासन चल रहा
हे मानव,
यदि स्मृति शेष है
तो दुख मना
भूल गया, तो सुख
ये दुनिया तेरे इशारों से
हट चुकी है
सुन,
किसी गौशाला में बैठे
तू भौंक, चिंघाड़, हनहना
कुछ भी कर
अब तू भी जानवर है
और अब याद दिलाने की,
जरूरत नहीं??