Tuesday, May 07, 2019

तिनका और घौंसला

एक छोटा सा
घास का तिनका
क्या कर सकता है
कहीं जमीं पर पड़ा -पड़ा
कभी आंधी,
तूफानों में उड़ा
पैरों तले रौंदा जाता
बारिशों से सड़ता
क्या कर सकता है

लेकिन यह सच्चाई नहीं
वही तिनका
जब मिलता है
एक और तिनके से
और ऐसे ही
हजारों मिलकर,
एक घोंसला बनाते हैं
जिसमें एक छोटी सी
चिड़िया रहती है
जो समझती है,
हर तिनके को
जानती है कद्र करना
क्यूंकि उसने
धूप की तपिश झेली,
आंधियों में उड़ान भरी
बारिशों में सहेज, तिनकों को
छावों में जोड़ा
और एक एक तिनके को इकट्ठा कर
अपना घर बनाया
जहां वह आज खुश है।

फिर मानव स्वयं ही
अपनी कद्र नहीं जानता है
अपनी योग्यता को,
नहीं पहचानता है
पहले वह स्वयं पंछी बने
जो हर तिनके की कीमत जाने
उसे सहेजे,
उसे प्यार करे
घोंसला सबसे छोटा ही क्यों न हो
मगर सबसे प्यारा हो
सब उससे जलें ना
बल्कि प्यार करें

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