कहते हैं कि हम इंसान हैं
इंसान के अंदर एक मानव है
जो अनल,पवन ,नीर,आकाश और पृथिवी से बना है
और इसके भी अंदर
इससे भी बड़ा
इससे विराट
पंचतत्वो को समाहे हूए
एक आत्मा है
जो सूक्ष्म है
जो अनंत है
जो सास्वत है
जो सदैव है
जो निराकार है
और इन सभी को समाहे हुए
बनता एक इंसान है
कहते हैं कि हम इंसान हैं
इस इंसान के अंदर एक दानव है
जो हमारा काल है
जो अहम,स्वार्थ,ईर्ष्या,लोभ से बना है
और इसके भी अंदर
इससे भी बुरा
इन सभी को समेटे हुए
एक राक्षस है
जो इन भावो को त्यागना नहीं चाहता
जो इनको जानकर भी
एक अनजान है
और इनको भी समाहे हुए
बनता एक इंसान है
Wahhhhh.....
ReplyDeletebhai maza aa gya. Tagda hi...
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