सूना है अखबारों को
नई खबर मिल गई
जब जिंदगी की कश्ती
उम्मीदें हारकर डूब गई
कुछ हंगामे,कुछ तमाशे हुए
मगर सब बेकार
अब अखबारों को एक और
नई खबर मिल गई
जब मौसमों की मार में
गरीबों की हालत बिगड़ी गई
मगर ऐसी पड़ी कि असहन हुई
तब कुछ दान हुए,सम्मान हुए
फिर भी जिंदगियां डूब गई
और अखबारों को
एक नई खबर मिल गई
ये आते जाते मौसम थे
और सावन बेईमान
इस भादौ की लौ ने
बहुत किया परेशान
हर साल ये मौजूद हैं
फिर भी जिंदगियां डूब गई
और अखबारों को
एक नई खबर मिल गई
सब कुछ समान है
इन गुजरते सालों में
बजट इतना खर्च हुआ
मगर सुराख है हर कामों में
इस सुबह की शुरुआत भी
चाय की चुस्कियों से हुई
और अखबारों को
एक और नई खबर मिल गई
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