Sunday, July 29, 2018

हिमपुत्र

नाटा कद, मुस्काता चेहरा
हिमपुत्र की शान है
छोटी आंखें, चौड़ा कपाल
यही उसकी पहचान हैं

भ्रमित करती माथे की शोभा
मोहित करे कंठ की वाणी
साहस तेरा देख पर्वत और
नतमस्तक है हर एक प्राणी

गौरव संस्कृति दर्शाती बोली
सदैव आनंदित जीवन होली
नयनों से तेज छलकता
अपनों के लिए ही हृदय धड़कता

समर छेत्र में भीम भुजाएं
छाती है मजबूत शिलाएं
कोमल हृदय विशाल इतना
दुश्मन को भी गले लगाए

प्रत्येक कर्म में तन मन समर्पित
देव भूमि है इनसे अर्जित
आंख बिछाए रिश्तों की शोभा
और निष्ठा में जीवन यह अर्पित

देवात्मा की संताने
दशो दिशाएं ख्याति पाए
देवभूमि में जन्मे हिमपुत्र
त्रिलोक में नाम कमाए

Sunday, July 22, 2018

भीगी सड़के

शहर की भीगी सड़के
जगी सुबह तड़के
चारों तरफ सूना पाती
आंखे फाड़े देखे जाती
मिजाज बदला सा
शहर का रंग उड़ा
लाली छाई
सूरज उगा, सूरज डूबा
चांदनी छाई
घनघोर घटा में
अब भी इतनी लाली क्यों 
रात दिन सुनसानी में
मानवता भड़की थी
नए दिन की आस में
शहर की भीगी सड़कें 

Friday, July 20, 2018

पतझड़ की पीली पाती

   पतझड़ की पीली पाती
  अपने रोदन गीत गाती
  आस कितनी नयनों को
  जीवन संसार बहारों की


  दुख के घिरे हैं घने बादल,
  आस मधुप फुहारों की
  नयन अश्रु गिरने पर 
  वापस कहां जा पातेे
मरु की शिथिल भूमि में
  मोती से चमकते 
  टूटी टहनी 
  अब साथ कहां दे पाती
  पतझड़ की पीली पाती