WithinYOU POETRY
The words of deep emotion are here.
Friday, July 20, 2018
पतझड़ की पीली पाती
पतझड़ की पीली पाती
अपने रोदन गीत गाती
आस कितनी नयनों को
जीवन संसार बहारों की
दुख के घिरे हैं घने बादल,
आस मधुप फुहारों की
नयन अश्रु गिरने पर
वापस कहां जा पातेे
मरु की शिथिल भूमि में
मोती से चमकते
टूटी टहनी
अब साथ कहां दे पाती
पतझड़ की पीली पाती
2 comments:
Unknown
20 July 2018 at 09:20
Ye wakai me tune hi likha hai yogi it's really good
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Unknown
5 November 2018 at 01:45
Nice
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Ye wakai me tune hi likha hai yogi it's really good
ReplyDeleteNice
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