Friday, July 20, 2018

पतझड़ की पीली पाती

   पतझड़ की पीली पाती
  अपने रोदन गीत गाती
  आस कितनी नयनों को
  जीवन संसार बहारों की


  दुख के घिरे हैं घने बादल,
  आस मधुप फुहारों की
  नयन अश्रु गिरने पर 
  वापस कहां जा पातेे
मरु की शिथिल भूमि में
  मोती से चमकते 
  टूटी टहनी 
  अब साथ कहां दे पाती
  पतझड़ की पीली पाती

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