Thursday, March 26, 2020

वीरान शहर

जगमग महलों से
झांकती खिड़कियां
देखती हैं,
वीरान पड़ा शहर
वह कांप उठी
शहर की वीभत्सता देखकर
जो डर के मारे
माँ के आंचल में
छुप जाना चाहती है
पर कैसे,
जर्जर पड़े मकान
उसकी पीड़ा कुरेदते हैं
मीनारों की चुप्पी
उसे लहूलुहान कर देती है
बंजर पड़ी सड़कों पर
उसका खून रिसने लगता है
वह जानती है
सच सामने आने वाला है
यह सोचकर ही
उसकी रूह थर्रा उठी
और फिर चुपचाप
बड़े धीरे से
बिना शोर किए
वो खिड़कियां बंद हो जाती हैं
जैसे इस शहर में
कुछ हुआ ही न हो
और खिड़कियों ने
कुछ देखा ही न हो।


Thursday, March 19, 2020

हे मेघा तुम अब आये

स्वप्न देखे बीज बोकर
रातों की नींदें खोकर
फसल जब लहराई
सिंचाई की जरूरत आयी
चारों तरफ तब सूखा था
कुआ खुद ही भूखा था
मिट्टी में दरारें थी
किसानों की कराहें थी
तब भी तुम जागे नहीं,
फसल चक्र अब बीत गया
रक्त धमनियों से सूख गया
सूखा वर्ष घोषित होकर
मानसून प्यासा रोकर
चला गया,
अब पूस के महीने में
ये बाढ़ कैसी आयी
चैन से सोए "हल्कू" की
नींद किसने जगाई
रहा शेष यदि कुछ 
उसे भी तुम उजाड़ गए
जरूरत थी तब सोये रहे
और हे मेघा,
तुम अब आये

Sunday, February 16, 2020

Captain Saurabh Kalia: How difficult it to serve the nation

Captain Saurabh Kalia was an officer of the Indian Army who died during the Kargil War while being held as a prisoner of war by the Pakistan Army. He and five soldiers of his patrol were captured and allegedly tortured prior to being killed.What was published in the news of that day, I have copied only. Tortured by Pakistan army by burning body with cigarettes, piercing ear drums with hot rod, puncturing eyes before removing them, breaking most of the teeth and bones, fractures of the skull, cutting the lips, chipping of nose, chipping of limbs and private organs besides all sorts of physical and mental tortures and finally shooting him dead.

Monday, January 06, 2020

गरीबी

गरीबी की मार 
छोड़ती कहा है
पीछा,
पहाड़ो के किसान
अपनी जमीन बेच
अमीर हुए
दो बरस के लिए,
जिस पर एक
हवेली बनी
दिल्ली का सेठ
एक महीना
छुट्टी पर आया
फिर चला गया, 
अब वह किसान
हवेली के गेट पर
पहरा देता है
जिसके नीचे दफ़न हुआ
पसीना,
उसे सोने नहीं देता
क्या करें,
गरीबी पीछा नही छोड़ती

पेड़

देखना उस खेत में
एक मजबूत 
टहनियों वाला पेड़
जरूर होगा
जो किसान
बैंक से,
कर्जा लाया है
और तुम्हें लगता है कि
किसान,
वैज्ञानिक खेती से
कृषि वानिकी कर रहा है।

मानवता

उस छत में

दो कबूतर

रहना चाहते हैं

जिसकी

जमीनी मंजिल वाले

किरायेदार,

किराया न देने पर

निकाले गए

मानवता मर गई

क्या कोई सुबूत है

अब उन कबूतरों का क्या होगा