बादल भरे गुस्से में देखो
बिजलियों का फरमान आया है
कहर आएगा एक बार फिर
हवाओं का पैगाम आया है
बिजलियों का फरमान आया है
कहर आएगा एक बार फिर
हवाओं का पैगाम आया है
लगती नहीं ये व्यर्थ कहीं भी
गर्जना इन बादलों की
शांत चितवन बैठे थे वो
अब भड़की है ज्वाला सी
गर्जना इन बादलों की
शांत चितवन बैठे थे वो
अब भड़की है ज्वाला सी
कौन है जा भिड़ने वाला
शांत पड़े इन शोलों से
काम हुआ लगता है शायद
मानव के इन बोलों से
शांत पड़े इन शोलों से
काम हुआ लगता है शायद
मानव के इन बोलों से
लगता है उजालों को
वजह स्वाधीन रहा होगा
किस्मत जिसकी देख खुदा भी
बादलों से जा बोला होगा
ताक रहा महीनों से वो
आसमान को बारम बार
उसके लिए सुखदाई होगा
बारिश का पहला त्यौहार
आसमान को बारम बार
उसके लिए सुखदाई होगा
बारिश का पहला त्यौहार
कितना सौन्दर्य भरा है उसमें
ऊपर कुर्ता , नीचे धोती
लगता कहीं चमक रही है
एक श्वेत दीप सी ज्योति
ऊपर कुर्ता , नीचे धोती
लगता कहीं चमक रही है
एक श्वेत दीप सी ज्योति
बीवी बच्चे हैं उसके भी
दीदार कर रहे राह का उसकी
बाहर झांक रही हड्डियां उनकी
पलकें बिछाए घर लौटने की
दीदार कर रहे राह का उसकी
बाहर झांक रही हड्डियां उनकी
पलकें बिछाए घर लौटने की
कितनी भयावह रात वह होगी
क्या खाली हाथ जाएगा घर को
प्रताड़ना की इस हद को
क्या यूं ही सह जाएगा वो
क्या खाली हाथ जाएगा घर को
प्रताड़ना की इस हद को
क्या यूं ही सह जाएगा वो
क्या जवाब देगा घर में
सांत्वना सरकार से लाया हूं
दिन भर इंतजार कर
केवल दीदार में पाया हूं
सांत्वना सरकार से लाया हूं
दिन भर इंतजार कर
केवल दीदार में पाया हूं
त्रिस्कृत होता पल पल वह
लगा होगा मंदिरों में झांकने
अभिमान भरा आंखो में जिसकी
गुहार लगाता खुदा के सामने
लगा होगा मंदिरों में झांकने
अभिमान भरा आंखो में जिसकी
गुहार लगाता खुदा के सामने
निश्छल , निर्भय बचपन से जो
कसौटी देने आया होगा
उस दिन तो जमाना भी
फुट फुटकर रोया होगा
कसौटी देने आया होगा
उस दिन तो जमाना भी
फुट फुटकर रोया होगा