उन शमशानो में
अब लाशें नहीं आती
और कब्रिस्तानों में
न जाने कब से
नई कब्र भी नहीं बनी
दोनों रूठे भाई बहन से
अब कोई नहीं मिलता
सुनने में आया था
जमाना बदल गया
अब घरों के अंदर ही
शमशान मौजूद हैं
बीच सड़कों में ही
कब्रस्तान खुदने लगते हैं
शायद मनुष्य प्रगति
असीम है,अकल्पनीय है
यहां तक कि
Nicely elaborated Yuvraj nature of today's generation.
ReplyDeleteयहाँ तक पहुचने के लिए तो ईश्वर ने हमें नहीं हीं बनाया होगा I बढ़ियाँ प्रस्तुति I
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