कोमल भूमि की बाँहों में
शूलों से चुभते हैं वह दाग
जो युद्ध समर में
जल बहाव से बहाए गए
जिस तरुण भूमि ने
जाने कितने ही
दर्द झेले हैं
और अपने ही सपूतों का
लहु संजोया है
मगर उससे अधिक पीड़ा
उसे उसके ही समर में
तब मिली जब
उसमे उगाने वाला
उसमे ही जीने वाला
उसे अपनी मां समझने वाला
किसान
कुछ लोगो द्वारा छला गया
यह खाद रुपी दाग
भूमि की उर्वरता पर प्रश्न थे
पेटों पर मरहम थे
जो उन शूलों से
अधिक तेजी से चुभते...
पंखे में धूल
Poetry comes from the highest happiness or the deepest sorrow. - A.P.J.ABDUL KALAM
अंधेरी कोठरी
Poetry is when an emotion has found it's thought and the thought has foud words. - ROBERT FROST
लोरी
The poet is a liar whoalways speaks truth. - JEAN COCTEAU
डाकिया
Poetry should be great and unobtrusive, a thing which enters into ones soul, and does not startle it or amaze it with itself, but with its subject. - JHON KEATS
कतरा : कागज का
And when all the wars are over, a beautiful butterfly will still be beautiful. - RUSKIN BOND
Friday, June 29, 2018
Wednesday, June 20, 2018
मकड़ी के जाले

आज सालों बाद
उन मकड़ी के जालों में
कुछ फंस आया
वह जाले
गांव के बीचों बीच
एक पुराने घर के
दरवाजे पर लगे थे
शायद आज उन
मकड़ियों का अंदाजा भी सही था
वह फंसने वाले कुछ
इंसानी प्रजाति के लोग थे
जो कुछ सालों पहले
उस घर को ठुकरा गये थे
और आज उन्हें
शहर ने ठुकरा दिया ...
Friday, June 15, 2018
दीया

रात की सुनहरी रौशनी में
एक छत के नीचे
दीया जलाए
कुछ बच्चे
किसी देश का
भविष्य लिख रहे थे
उस मिट्टी के दीपक के नीचे
भले ही अंधेरा था
मगर उसकी रोशनी में
सामने से बैठ
बड़ी तन्मयता से
वह बच्चे पढ़ रहे थे
भले ही दीपक
अंधेरे को
अपने अंदर ही
समेटना चाहता था
ताकि उन बच्चों का
ध्यान वहां न जाए
उसने भी सुना था
बच्चे हर चीज को
बड़ी जल्दी सीख जाते हैं
और वह...
Wednesday, June 13, 2018
अंधेरी कोठरी

छोटे रोशनदानों से
चांद की रोशनी
अंधकार भरी कोठरी में
कुछ लोगों से छिपकर
कुछ वीरों से मिलने
चली आती थी
जहां पीने के नाम पर
एक मटका,
सोने के नाम पर
एक कंबल,
बड़े ही संहर्स पर मिले
जहां एक समय
क्रांतियों ने जन्म लिया
देश की नीतियां बनी
वहां समय समय पर
कुछ बहादुर लोग
खुशी खुशी आते
और सुनहरे चांद से
संदेशा बयां करते
वह चारदीवारी
आज भी वैसी ही है
फर्क इतना है
आज का चांद
उनसे बातें नहीं करता
कुछ छोटे चोर,लुटेरे,जेबकतरे
आज...
कतरा : कागज का

वह कतरा
कागज का
कितने अश्रु रोता है
जिसको समेटने
हर व्यक्ति
समर्पित रहता है
स्वचलित समय की
कितनी भारी मांग है
जब रोटी का टुकड़ा भी
उसी के नाम पर
बिकता है
एक और रोता है
उसके अलावा
जिसकी अब बारी है
कागज का टुकड़ा बनने की
आदमी का सुख,
चैन और
ईमान बेचने की।
Read another : पंखे में धूल
...
Saturday, June 09, 2018
फल वाला

मुख्य सड़क के किनारे
एक चौपहिया
बड़ी शांत अवस्था में
प्रतीक्षा कर रहा था
वह लाखों,करोड़ों वाला नहीं
बल्कि फलों के
एक ठेले वाला
किसी की तड़पन बांधे
दुखों को संभाले
पानी छिडकता
फलों वाला था
उसके नीचे कुछ बेकार पड़े
ना बेचने योग्य
फलों को फेंका था
जिसको बड़ी देर से
एक सुस्त बच्चा
निहारता,देखे जाता
थोड़ी देर में चुप चाप
वह वहां पर आया
गिरे फलों को उठाया
और चला गया
Check another post
...
Friday, June 08, 2018
कलम

तलवार की धार में,खून के कुछ छीटेंसूखे हुएएक म्यान में कैद
हंसते है बड़ी नीर्लजता सेउस तीखी धार परजिसने उनको जन्म दियाक्यूंकि उससे भी तेज,धारदार,असरदार चोट करने वालीखुले आम घूमती है,सस्ते में बिकती है,और वह कलमबड़ी ही शांत दिखती है...
Wednesday, June 06, 2018
वजह

कितना अच्छा हैएक एक करके
सभी प्रजातियां
लुप्त हो रही हैं
वनस्पतियों की,
जानवरों की,
मानवता की,
वह भी केवल
एक के कारण
क्यों ना ऐसा हो
उस एक का ही
विनाश हो जाए
और एक नया संसार
फिर से उभरे...
Tuesday, June 05, 2018
Sunday, June 03, 2018
डाकिया

खाकी की वर्दी पहने
हर रोज
एक डाकिया
हर घर में
मीलों का संदेश
जमाने की मुस्कान
अपनों का सहारा
कागज के टुकड़ों में
बांट जाता है
उनकी कीमत
नहीं लगाई जा सकती
उस मीलों के सफर में
एक बंधन को
साईकिल से बांधता
हर रोज दस्तक देता है
और एक बात
जो नजरअंदाज हुई
जरा खुदा से पूछो
क्या कभी उसके लिए भी
कोई खत आया होगा क्य...