The words of deep emotion are here.

पंखे में धूल

Poetry comes from the highest happiness or the deepest sorrow. - A.P.J.ABDUL KALAM

अंधेरी कोठरी

Poetry is when an emotion has found it's thought and the thought has foud words. - ROBERT FROST

लोरी

The poet is a liar whoalways speaks truth. - JEAN COCTEAU

डाकिया

Poetry should be great and unobtrusive, a thing which enters into ones soul, and does not startle it or amaze it with itself, but with its subject. - JHON KEATS

कतरा : कागज का

And when all the wars are over, a beautiful butterfly will still be beautiful. - RUSKIN BOND

Sunday, September 23, 2018

राह दिखाएं

ऊंचाई से अगणित रफ्तार
पर्वतों को चीर पार
स्वयं अपनी राह बनाते
मैदानों में नदियां आती


या फिर पर्वत रोकते राहें
चंचलता पर अंकुश लगाएं
भूली भटकी धारा को
जीवन का जो मार्ग दिखाए
जैसे भटकते राही को
यदि राह तूने नहीं दिखाई
फिर क्या अधिकार रह जाता है



बुरा भला चिल्लाने का
अंधेरों में दोष गिनाने का
संसार की थू करने का
वह बने आतंकी, चोर, हत्यारा
या फिर राजनीति का प्यारा
दिया जलाने का अवसर तो था
अंधेरे मिटाने का अवसर जो था
दोषों पर चिल्लाने से पहले
दोष ना होने का मौका जो था
उससे बड़े दोषी तुम हो
और पाप के भागी तुम हो
फिर क्या रह जाता करने को
संसार में सिवाय मरने को
शरीर केवल आता जाता
अमर जीवन तो है विचारों का


ये राहें, तुझसे होकर जाती हैं
और अंत में वापस भी
तुझ पर ही आती हैं
फिर क्यों ना हम भी दिया जलाएं
भटकों को राह दिखाएं
या फिर केवल दोष गिनाएं
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Friday, September 21, 2018

किसान

धोती पहने, कपड़ा बांधे
नंगे पैर निकलता किसान
तड़पती धूप, कड़कती सर्दी
खेतो में रोज दिखता किसान


देश बंद हो, मजदूर दिवस
हड़तालें या फिर रविवार
सत्य मानों या ठुकरा दो
जीवन एक संहर्ष किसान
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Friday, September 14, 2018

मोहक बड़ी तुम लगती हो

(वाणी को संबोधन)
हे! छिछोली चंचल प्रिये
मोहक बड़ी तुम लगती हो
अंदर से कुछ 
बहार से कुछ
फिर शांत कैसे रहती हो

घमासान क्या होते नहीं
भीतर से तोड़ते नहीं
टूटे हुए टुकड़े भी तो
कातरता से चुभते हैं
फिर निज मन को कैसे 
झुठला कर रखती हो
हे! छिछोली चंचल प्रिये
मोहक बड़ी तुम लगती हो
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Sunday, September 02, 2018

नव युग की राह

मुक्त सा है सफर
जीवन में उठे कई भवर
टूटते सपनों के पल
अनेकों प्रयास हुए विफल
आओ सब विफलताओं से
जूझते हम चलें
नव युग की राह को
मोड़ते हम चलें


नव पंथ पर चलने की
हिम्मत जुटाई किसने है
अंधियारों में उजाले की
ज्योति जलाई किसने है
चलते हुए जमाने को, सबने ही कोसा
काल की गति को, सबने ही दोसा
कौन कहता हर पल 
ठोकरें बनाती मजबूत हैं
बिन कष्टों के जीवन का
क्या कोई वजूद है
पल भर दुख पर
अनंत खुशी क्यों ढले
नव युग की राह को
मोड़ते हम चलें
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