The words of deep emotion are here.

पंखे में धूल

Poetry comes from the highest happiness or the deepest sorrow. - A.P.J.ABDUL KALAM

Tuesday, July 30, 2019

छत में चांद

मेरे घर की छत में  चांद आया आधा नहीं, पूरा चांद उसकी चांदनी फैली चारों ओर हां, चांद की चांदनी चांद न ही पुरुष है न ही चांदनी महिला अगर होते तो क्या चांदनी अपने यौवन में, सबरीमाला जा पाती या चांद मनमर्जी से, तीन तलाक दे सकता  खैर जो भी हो चांदनी का चांद या चांद की चांदनी  मगर मेरे घर की छत में चांद खूब खिला ह...
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