The words of deep emotion are here.

पंखे में धूल

Poetry comes from the highest happiness or the deepest sorrow. - A.P.J.ABDUL KALAM

Thursday, March 26, 2020

वीरान शहर

जगमग महलों सेझांकती खिड़कियांदेखती हैं,वीरान पड़ा शहरवह कांप उठीशहर की वीभत्सता देखकरजो डर के मारेमाँ के आंचल मेंछुप जाना चाहती हैपर कैसे,जर्जर पड़े मकानउसकी पीड़ा कुरेदते हैंमीनारों की चुप्पीउसे लहूलुहान कर देती हैबंजर पड़ी सड़कों परउसका खून रिसने लगता हैवह जानती हैसच सामने आने वाला हैयह सोचकर हीउसकी रूह थर्रा उठीऔर फिर चुपचापबड़े धीरे सेबिना शोर किएवो खिड़कियां बंद हो जाती हैंजैसे इस शहर मेंकुछ हुआ ही न होऔर खिड़कियों नेकुछ देखा ही न हो। ...
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Thursday, March 19, 2020

हे मेघा तुम अब आये

स्वप्न देखे बीज बोकररातों की नींदें खोकरफसल जब लहराईसिंचाई की जरूरत आयीचारों तरफ तब सूखा थाकुआ खुद ही भूखा थामिट्टी में दरारें थीकिसानों की कराहें थीतब भी तुम जागे नहीं, फसल चक्र अब बीत गयारक्त धमनियों से सूख गयासूखा वर्ष घोषित होकरमानसून प्यासा रोकरचला गया,अब पूस के महीने मेंये बाढ़ कैसी आयीचैन से सोए "हल्कू" कीनींद किसने जगाईरहा शेष यदि कुछ उसे भी तुम उजाड़ गएजरूरत थी तब सोये रहेऔर हे मेघा,तुम अब ...
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