The words of deep emotion are here.

Tuesday, October 30, 2018

कवि

देखो कलम यह, टूट चुकी है
स्याही साथ में, सूख चुकी है
बिना कलम और स्याही के,
कवि बेचारा क्या करेगा
नाखूनों से कलम बनाकर,
खून की स्याही भरेगा

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