The words of deep emotion are here.

Thursday, December 19, 2019

कसूर किसका

उसके बेटे उसे छोड़कर जा चुके हैं
उसका पति अब नही रहा
पूरे गांव में अकेले
वह नहीं रह सकती
उसे अकेलापन खलता है,
वो पहाड़ से उतरकर
शहर में आई है
उस बूढ़ी को काम नहीं मिला
उसकी मजबूरी ने उसे
सड़क पर ला छोड़ा
मैं उसके पहनावे से बता सकता हूँ
वह कोई कुमाऊनी महिला है
उसके गले का गलोबन्द
उसकी नाक में फुलि
हाथों के कड़े
पैरों की चैन पटि 
उसके बैठने का तरीका
बात करने का अंदाज
मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ
वह कोई कुमाऊनी महिला है
लेकिन अब उसके मजबूत हाथ
डर डर कर कुछ मांगते हैं
गर्व और मेहनत से बिताई जवानी
अब उसे रो रोकर याद आती है
भूख मिटाने के लिए
वह मजबूर है
लेकिन वो दर्द भरी आंखे
मैं कैसे भूल सकता हूँ
लेकिन उस मां की ममता
अभी भी जिंदा है
वो अपने बेटे को देखना चाहती हैं।


Share:

2 comments:

Indiblogger