The words of deep emotion are here.

Sunday, November 12, 2017

हिस्सा एक खेल का

आओ तुम्हें किस्सा बताऊं
उस समय के कांड का
जो खुरापाती रहा होगा
रचनाकार इस ब्रह्मांड का
जब धरा देख आकाश को
सूना सूना कुछ लगा होगा
तभी उसने भी खेल नया
खेलने को सोचा होगा















आओ धारा तुम सहयोग करो
चारों तरफ फैले इस जल का
जिससे मिलकर खड़ा हो सके
एक शानदार नमूना कल का
तभी पवन,अनल ने मिलकर
आकाश का सहयोग किया होगा



तब जाकर एक नमूना
हमारे जैसा बन पाया होगा
मगर अफसोस हुआ आकाश को
नमूने का नमूनापन देखकर
क्या करते अब पांचों वह
उसका सूनापन देखकर
तभी अनल जा बोला होगा
एक और नमूना बनाते हैं
जिससे कि चल सके सृष्टि
और हो सके हमारा खेल
तब से लेकर आज तक
हम उसी खेल का हिस्सा हैं
जब मैं भर जाएगा उनका
तब से हम भी किस्सा हैं
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