The words of deep emotion are here.

Monday, April 30, 2018

टूटता तारा

जाने कितने टिमटिमाते तारे
यूं ही टूट जाते हैं
उस ऊंचे आकाश में

जिनको देख आज भी
बचपन की तरह
दो अंगुल मिला लेता हूं
आज भी कुछ सपने,
कुछ ख्वाहिशें
मांग लेता हूं
यह सब
मेरी मां ने मुझे सिखाया 
और मौत के बाद 
मेरी मां भी
आसमां का एक तारा बनी
जो आज भी खुद टूटकर
मेरे सपने पूरे करती है
और आज भी
मेरी मां के एहसान 
मुझ पर भारी हैं
Share:

0 comments:

Post a Comment

Indiblogger