
बादल भरे गुस्से में देखो
बिजलियों का फरमान आया है
कहर आएगा एक बार फिर
हवाओं का पैगाम आया है
लगती नहीं ये व्यर्थ कहीं भी
गर्जना इन बादलों की
शांत चितवन बैठे थे वो
अब भड़की है ज्वाला सी
कौन है जा भिड़ने वाला
शांत पड़े इन शोलों से
काम हुआ लगता है शायद
मानव के इन बोलों से
लगता है उजालों को
वजह स्वाधीन रहा होगा
किस्मत जिसकी देख खुदा भी
बादलों से जा बोला होगा
ताक रहा महीनों से वो
आसमान को बारम बार
उसके लिए...