The words of deep emotion are here.

Saturday, September 16, 2017

ऊपर वाले के नाम

वह रोज.....
शीश झुकाता है
उन दराख्तों पर
जो शायद केवल
किस्मत वालों की सुनते हैं
दरअसल
उन सीढ़ीयों में भी
कुछ बदनसीब ही बैठते हैं
क्योंकि
दिन तो उनके हैं
जिनके हाथ से केवल
कुछ सिक्के छूट जाते हैं

अरे!
तुम क्या सोचते हो
थोड़ा सही जाओ
उनका कुछ छूटता तो है
उन हाथों पर
जो केवल 
उन दराख्तों पर
फेंक आते हैं
उनका क्या?
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