
कौन है सूत्रधार यहां का
एक प्रश्न है मेरा उससे
जिसके तुम गुणगान करते हो
एक दिन मिलाना मुझसे
असत्य कहो मगर सच है काला
भड़केगी जब क्रोध की ज्वाला
कहा की जल्दी थी तुमको
तुमने कैसा इंसान रच डाला
अोत प्रोत स्वयं के अंदर
चला रहा नित्य नव दंगल
क्या पाने कि चाह है इसकी
किस दिशा में राह है इसकी
कठपुतला है मिट्टी का
स्मृति स्वयं की जानता है
कर्म अपने नित्य भूलकर
अहम निश्चय ही पालता है
स्मृति नित्य करता जन को
भ्रमित कुबुद्ध...