The words of deep emotion are here.

Sunday, January 07, 2018

अखबारों में खबर

सूना है अखबारों को
नई खबर मिल गई
जब जिंदगी की कश्ती
उम्मीदें हारकर डूब गई
कुछ हंगामे,कुछ तमाशे हुए
मगर सब बेकार
अब अखबारों को एक और
नई खबर मिल गई



जब मौसमों की मार में
गरीबों की हालत बिगड़ी गई
मगर ऐसी पड़ी कि असहन हुई
तब कुछ दान हुए,सम्मान हुए
फिर भी जिंदगियां डूब गई
और अखबारों को
एक नई खबर मिल गई

ये आते जाते मौसम थे
और सावन बेईमान
इस भादौ की लौ ने
बहुत किया परेशान
हर साल ये मौजूद हैं
फिर भी जिंदगियां डूब गई
और अखबारों को
एक नई खबर मिल गई

सब कुछ समान है
इन गुजरते सालों में
बजट इतना खर्च हुआ
मगर सुराख है हर कामों में
इस सुबह की शुरुआत भी
चाय की चुस्कियों से हुई
और अखबारों को
एक और नई खबर मिल गई
Share:

0 comments:

Post a Comment

Indiblogger