The words of deep emotion are here.

Wednesday, February 21, 2018

तौलिया

आज आंगन के कोने में रखा
एक कपड़ा नजर आया
जिसने थोड़ी देर पहले
निचोड़कर,मरोड़कर और
बहुत कष्ट झेलने के बाद भी
फर्श के सारे कीटाणुओं को
अपना दुश्मन समझ मर डाला था
ये वही पुराना हो चुका तौलिया
जो कुछ वक़्त पहले,
कभी दादाजी गले में,
पापा के कंधो पर,
मां के माथे पर रहा करता
जिससे कुछ समय पहले


मुंह पोछना और हाथ पोछना 
जैसे काम लिए जाते
यह वही नया तौलिया था
जिसे मां माथे में पहन
पड़ोसन को चिढाया करती
यह वही यादों का तौलिया था
जिसे कभी धोती बनाकर 
बच्चे पहन लिया करते
यह वही तौलिया
सफेद,लाल,हरे,नीले और भी
बहुत रंगो में खप जाता
वही यादों का समंदर था
जो हमसे ज्यादा नदी,झरने
और भी कई तीर्थ घुमा था
और यह वही तौलिया जो 
हमसे ज्यादा घर की जिम्मेदारी उठाता था
आज अपने अंतिम समय में भी
सारे घर की गंदगी का जिम्मा उठाया
मूछें उठाए बाहें फैलाए
बैठा है आसन जमाकर
जिस आंगन में कभी बेटियां खेला करती
और इस तौलिए से ज्यादा काम खुद करती 
और इस तौलिए को भी संभालकर
अपने से ज्यादा प्यार देती 


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