सुबह से लेकर शाम तक
थकान है जिंदगी
छोटी छोटी बातों में आने वाली
मुस्कान है जिंदगी
मनुष्य के सत्कर्मों की
पहचान है जिंदगी
हर गिरते पड़ते क़दमों पर
एक पैगाम है जिंदगी
कभी संसार की मोहमाया से
डूबी है जिंदगी
कभी किसी पश्चाताप का
आवरण है जिंदगी
Very nice poem yuvi... Good efforts
ReplyDelete