The words of deep emotion are here.

Wednesday, February 07, 2018

जिंदगी : एक पहेली

जब मुझसे कहा गया ,जिंदगी की हकीकत साबित कर
मैंने पूछा अपनी जिंदगी से, अपने अंदर से
क्या यह संभव है
कैसा भविष्य दिया मुझको , कैसे तेरा अतीत वया करू
क्या इनसे सच्चाई बोलू,क्या पैगाम जारी करू



सच बोलू तो रो जाएंगे,कहानी गढ़ू तो खो जाएंगे
केवल कुछ पल में ही जिंदगी कैसे साबित करू
क्या सीख जाऊंगा यहां से,खुद से कैसे बात कहूं
अपनी मर्ज कैसे बताऊं, या औरो की बात कहूं
एक अवसर जो मिला है,उसका कैसे अब बखान करू
बिना किसी मेरे कर्म के,एक जीवन का अवसर मिला मुझको
जिसको इशू,अल्लाह और अपना खुदा माना
जिसने दिया मुजको जन्म उसको ही अपना भगवान माना
कितने अच्छा कर्म पूर्वजों के,जीवन जो यह पाया है
इस जीवन के इन लम्हों  में देखनी बहुत अब आया है
कुछ सीख इस जीवन में,यह तेरी सच्चाई
नित्य कर्म कर सबको मानकर ,यह तेरी अच्छाई है
विश्व दृष्टिकोण मान तो,उस नाम रखने वाले साधु को गरीब मानू
या फिर उसका ज्ञान देखकर ,स्वयं परमात्मा को जानू
भारत तो है स्वयं सारथी ,अपना पथ खुद बनाएगा 
तू अपने लिए जिएगा तो , अपने में ही मर जाएगा।
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