मेरे घर की छत में
चांद आया
आधा नहीं, पूरा चांद
उसकी चांदनी फैली
चारों ओर
हां, चांद की चांदनी
चांद न ही पुरुष है
न ही चांदनी महिला
अगर होते तो क्या
चांदनी अपने यौवन में,
सबरीमाला जा पाती
या चांद मनमर्जी से,
तीन तलाक दे सकता
खैर जो भी हो
चांदनी का चांद या
चांद की चांदनी
मगर मेरे घर की छत में
चांद खूब खिला है