गरीबी की मार
छोड़ती कहा है
पीछा,
पहाड़ो के किसान
अपनी जमीन बेच
अमीर हुए
दो बरस के लिए,
जिस पर एक
हवेली बनी
दिल्ली का सेठ
एक महीना
छुट्टी पर आया
फिर चला गया,
अब वह किसान
हवेली के गेट पर
पहरा देता है
जिसके नीचे दफ़न हुआ
पसीना,
उसे सोने नहीं देता
क्या करें,
गरीबी पीछा नही छोड़ती