खाकी की वर्दी पहने
हर रोज
एक डाकिया
हर घर में
मीलों का संदेश
जमाने की मुस्कान
अपनों का सहारा
कागज के टुकड़ों में
नहीं लगाई जा सकती
उस मीलों के सफर में
एक बंधन को
साईकिल से बांधता
हर रोज दस्तक देता है
और एक बात
जो नजरअंदाज हुई
जरा खुदा से पूछो
क्या कभी उसके लिए भी
कोई खत
आया होगा क्या
Bdya👍👍
ReplyDeleteBhot khoob yuvraj
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