The words of deep emotion are here.

Sunday, July 22, 2018

भीगी सड़के

शहर की भीगी सड़के
जगी सुबह तड़के
चारों तरफ सूना पाती
आंखे फाड़े देखे जाती
मिजाज बदला सा
शहर का रंग उड़ा
लाली छाई
सूरज उगा, सूरज डूबा
चांदनी छाई
घनघोर घटा में
अब भी इतनी लाली क्यों 
रात दिन सुनसानी में
मानवता भड़की थी
नए दिन की आस में
शहर की भीगी सड़कें 
Share:

0 comments:

Post a Comment

Indiblogger