पतझड़ की पीली पाती
अपने रोदन गीत गाती
आस कितनी नयनों को
जीवन संसार बहारों की
दुख के घिरे हैं घने बादल,
आस मधुप फुहारों की
नयन अश्रु गिरने पर
वापस कहां जा पातेे
मरु की शिथिल भूमि में
मोती से चमकते
टूटी टहनी
अब साथ कहां दे पाती
पतझड़ की पीली पाती
Ye wakai me tune hi likha hai yogi it's really good
ReplyDeleteNice
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