The words of deep emotion are here.

Sunday, December 16, 2018

क्या तुम्हें पढ़ना नहीं आता

कुछ निशान बाकी हैं
कागजों में,
कलम के
अरे नहीं, स्याही के
जो लिखे गए थे
पढ़ने के लिए, 
जानने के लिए,
समझने के लिए
उन बातों को
जो उन शब्दों में हैं
शब्दों के बीच में हैं
मगर क्यों, शब्द
केवल अर्थ तक रह गए
क्या तुम्हें पढ़ना नहीं आता 

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