The words of deep emotion are here.

Monday, February 25, 2019

मैं जानना चाहता हूं

सुनो बापू
तुम कहां हो
क्या तुम भी
परलोक सिधार गए
मैंने बचपन से
केवल तुम्हारा नाम सुना
और एक दिन जाना
कि तुमने तो केवल
आजादी दिलाई थी

हां, मैं नहीं जानता
आजादी की कीमत
क्यूंकि मैंने
गुलामी नहीं देखी
वैसे एक बात पूछू
क्या तुम आज भी
नज़रे गड़ाए हमें देखते हो
मैं जानना चाहता हूं
और यदि देखते हो
तो क्या लाठी,
आप ही नहीं उठती
या दृगों की धार
रुक नहीं पाती
मैं जानना चाहता हूं

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