The words of deep emotion are here.

Tuesday, June 05, 2018

बाढ़


कल शाम की 
कहर बरपाती बाढ़
सब कुछ ले गई
जो समान उसने
कुछ पलों में ही
बहा दिए

मगर ना ले जा पाया
वह बेचैनी,
बिछड़ने की
वह खुशी,
मिलने की
और वह मानवता
जो उसके खिलाफ खड़ी होकर
मानव को बचा रही थी
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