The words of deep emotion are here.

Friday, June 15, 2018

दीया

रात की सुनहरी रौशनी में 
एक छत के नीचे 
दीया जलाए 
कुछ बच्चे 
किसी देश का 
भविष्य लिख रहे थे 

उस मिट्टी के दीपक के नीचे
भले ही अंधेरा था
मगर उसकी रोशनी में
सामने से बैठ
बड़ी तन्मयता से 
वह बच्चे पढ़ रहे थे
भले ही दीपक 
अंधेरे को
अपने अंदर ही 
समेटना चाहता था 
ताकि उन बच्चों का
ध्यान वहां न जाए
उसने भी सुना था 
बच्चे हर चीज को 
बड़ी जल्दी सीख जाते हैं 
और वह इन्तजार में था
 किसी तरह 
 जल्द ही 
रवि का राग पहुँच जाए  
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